अग्निहोत्र भस्म को एक-आध घंटे तक खरल में पीसलें. अब इसमें दस गुणा शक्कर या खांड मिलादें. इसे कांच के पात्र में रखें। हर नये, पुराने, छोटे या बड़े रोग में इसका प्रयोग अलग अलग अनुपान के साथ करके लाभ उठायें।
किसीभी मानसिक या शारीरिक रोग में इसके निश्चित और अच्छे परिणाम होंगें। एक बार में 200 से 400 मिलीग्राम चूर्ण पानी केसाथ या बिना पानी के भी लेसकते हैं। गले-सडे घावों, खारिश, चोट आदि पर घी, वेसलीन आदि में मिलाकर लगाएं. बहुत लाभ मिलेगा.
Sunday, August 30, 2009
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