हम सब एक पिता की संतान हैं। सब के अन्तर में उसी परमात्मा का प्रकाश प्रकट हो रहा है. जब सब में उसके दर्शन करसकोगे तोफिर सब से प्यर हो ही जाएगा. फिर चाहोगे भी तो किसी से द्वेष नहीं कर सकोगे, सच तो यह है कि ऐसा विचार आयेगा ही नहीं. प्राणी तो क्या ,पहाड़, आकाश, बादल,नदियाँ वनस्पति तक प्यारे लगने लगेंगे।
फिर कहोगे -तुम कहते हो कि खुदा नज़र नहीं आता, हम कहते हैं कि हमको खुदा के सिवा कुछ नज़र नहीं आता,
Friday, August 14, 2009
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