Saturday, August 15, 2009

अंहकार से आहत.



मारा
अंहकार जितना प्रखर होता है, दूसरों का अंहकार हमें उतना अधिक चुभता है, आहत करता है.


दूसरों के अंहकार से घायल और दुखी होने से बचना हो तो अपने अंहकार को काबू करना सीखना होगा.

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