अग्निहोत्र भस्म को एक-आध घंटे तक खरल में पीसलें. अब इसमें दस गुणा शक्कर या खांड मिलादें. इसे कांच के पात्र में रखें। हर नये, पुराने, छोटे या बड़े रोग में इसका प्रयोग अलग अलग अनुपान के साथ करके लाभ उठायें।
किसीभी मानसिक या शारीरिक रोग में इसके निश्चित और अच्छे परिणाम होंगें। एक बार में 200 से 400 मिलीग्राम चूर्ण पानी केसाथ या बिना पानी के भी लेसकते हैं। गले-सडे घावों, खारिश, चोट आदि पर घी, वेसलीन आदि में मिलाकर लगाएं. बहुत लाभ मिलेगा.
Sunday, August 30, 2009
Thursday, August 27, 2009
Modren health problems & remedies
Majority health hezards are aquired due to excessive intake of toxic chemicals used in cultivation as insectiside, fertiliser,priservative etc. These harmful chemicals are being deposited or accumilated in our body or vital organs, especialy in kidney & liver. These synthetic chemicals are main cause of gout, high BP, cardiach arest, hepetitis, alzymer, liver faluer & even canser.
So it is must to expell toxins unknowingly deposited within our body system. Modren medical science heardly can be helpful. Just try traditional tips to keep yourself helthier.
Take one teaspoon powder of punarnava (Boerhaavia defusa) with plain water daily in morning. You may prepare decoction of it . Boil two spoon powder of harb & boil it in 300ml water till it remains about 100ml. Take it regularly in morning as decoction or in powder form.
This will expell many toxins out of your body & also will keep healthy your liver, kidney ,heart and lungs. Remember, it has no side effacts of eny type. Herb can be precured easily from herb seller/harbal shops.
So it is must to expell toxins unknowingly deposited within our body system. Modren medical science heardly can be helpful. Just try traditional tips to keep yourself helthier.
Take one teaspoon powder of punarnava (Boerhaavia defusa) with plain water daily in morning. You may prepare decoction of it . Boil two spoon powder of harb & boil it in 300ml water till it remains about 100ml. Take it regularly in morning as decoction or in powder form.
This will expell many toxins out of your body & also will keep healthy your liver, kidney ,heart and lungs. Remember, it has no side effacts of eny type. Herb can be precured easily from herb seller/harbal shops.
Wednesday, August 26, 2009
अग्निहोत्र या होमाथिरैपी से समाधान
अग्निहोत्र करने से पर्यावरण की अशुधियाँ आसानी से दूर की जासकती हैं. रेडियोधर्मिता तथा विकीर्ण तक दूर होजाता है। अधिक जानकारी केलिए agnihotra/homatherapy .को सर्च करें.
Friday, August 21, 2009
Saturday, August 15, 2009
अंहकार से आहत.
हमारा अंहकार जितना प्रखर होता है, दूसरों का अंहकार हमें उतना अधिक चुभता है, आहत करता है.
दूसरों के अंहकार से घायल और दुखी होने से बचना हो तो अपने अंहकार को काबू करना सीखना होगा.
Friday, August 14, 2009
.बवासीर और करेला.
कईबार हम सबके साथ कोई न कोई कमाल होजाता है. पत्नी पंजाब की रहनेवाली है। परहेज करने से सदा बचती रहती है। बवासीर कई बार ठीक होकर फिर बार बार होती रही और असाध्य बनगई. जो भुगतता है वही जानता है कि कितनी तक्लीफ़ होती है. बेचारी से न तो कहते बनता था और न सहते बनता था।
एक दिन बाज़ार मैं छोटे सफ़ेद-हरे से करेले नज़र आये तो वह खरीद लायी। पूरे साल में पहली बार लगा कि ये करेले खाए जासकते हैं। ८-१० दिन में ३-४ बार वही करेले लाये, बनाये और खाए। इतने दिन में ही कमाल होगया और पत्नी की बवासीर लगभग ठीक होगई, मस्से सूख गए। आयुर्वेद में बतलायागया है कि करेले से केवल मधुमेह (शूगर ) ही नहीं, बवासीर, पीलिया,ज्वर चर्म रोग भी ठीक होते हैं। आप भी देसी, स्वदेसी करेलों का फायदा उठा सकते हैं, पर कहीं से मिलने चाहियें. सबसे अछी बात तो यह होगी कि अपने गमलों या किचन गार्डन में फूल कम और देसी सब्जियां अधिक लगायें.
एक दिन बाज़ार मैं छोटे सफ़ेद-हरे से करेले नज़र आये तो वह खरीद लायी। पूरे साल में पहली बार लगा कि ये करेले खाए जासकते हैं। ८-१० दिन में ३-४ बार वही करेले लाये, बनाये और खाए। इतने दिन में ही कमाल होगया और पत्नी की बवासीर लगभग ठीक होगई, मस्से सूख गए। आयुर्वेद में बतलायागया है कि करेले से केवल मधुमेह (शूगर ) ही नहीं, बवासीर, पीलिया,ज्वर चर्म रोग भी ठीक होते हैं। आप भी देसी, स्वदेसी करेलों का फायदा उठा सकते हैं, पर कहीं से मिलने चाहियें. सबसे अछी बात तो यह होगी कि अपने गमलों या किचन गार्डन में फूल कम और देसी सब्जियां अधिक लगायें.
परमात्मा और प्यार.
हम सब एक पिता की संतान हैं। सब के अन्तर में उसी परमात्मा का प्रकाश प्रकट हो रहा है. जब सब में उसके दर्शन करसकोगे तोफिर सब से प्यर हो ही जाएगा. फिर चाहोगे भी तो किसी से द्वेष नहीं कर सकोगे, सच तो यह है कि ऐसा विचार आयेगा ही नहीं. प्राणी तो क्या ,पहाड़, आकाश, बादल,नदियाँ वनस्पति तक प्यारे लगने लगेंगे।
फिर कहोगे -तुम कहते हो कि खुदा नज़र नहीं आता, हम कहते हैं कि हमको खुदा के सिवा कुछ नज़र नहीं आता,
फिर कहोगे -तुम कहते हो कि खुदा नज़र नहीं आता, हम कहते हैं कि हमको खुदा के सिवा कुछ नज़र नहीं आता,
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